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महिला एवं बाल विकास

मध्‍यप्रदेश शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत महिलाओं एवं बालिकाओं के उन्‍मुखी करण हेतु विभिन्‍न योजनाओं का क्रियांनवयन किया जाता है।मध्‍यप्रदेश शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत महिलाओं एवं बालिकाओं के उन्‍मुखी करण हेतु विभिन्‍न योजनाओं का क्रियांनवयन किया जाता है।

योजनाएं

लाड़ली लक्ष्मी योजना
बालिका जन्म के प्रति जनता में सकारात्मक सोच, लिंगअनुपात में सुधार, बालिकाओं की शैक्षणिक स्तर तथा स्वास्थ्य की स्थिति में सुधारतथा उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला रखने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश में दिनॉक 01.04.2007 से लाड़ली लक्ष्मी योजना लागू की गई।जिनके माता-पिता मध्य प्रदेश के मूल निवासी हों, आयकर दाता न हों। द्वितीयबालिका के प्रकरण में आवेदन करने से पूर्व माता या पिता ने परिवार नियोजन अपनालिया हो।

समेकित बाल संरक्षण योजना
समेकित बाल संरक्षण योजना अंतर्गत 18 वर्ष तक के कठिन परिस्थतियों में रहने वाले देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले तथा विधि विवादित बच्चों को संरक्षण, सहायता एवं पुनर्वास प्रदान किया जाता है। योजना के तहत प्रदेश में विभिन्न प्रकार के 142 गृह संचालित है। इन गृहों में बच्चों के लिए पोषण, शिक्षण, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य एवं पुनर्वास की व्यवस्था की जाती है।

दत्तक ग्रहण
“दत्तक ग्रहण ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से दत्तक ग्रहण किए गए बच्चे को उसके जैविक माता-पिता से स्थाई रूप से अलग किया जाता है और वह सभी अधिकारों, लाभों और दायित्वों के साथ अपने दत्तक ग्रहण करने वाले माता-पिता के रूप में संदर्भित नये माता-पिता का कानूनी पुत्र बन जाता है। विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित किये गये निराश्रित, बेसहारा एवं अभ्यर्पित बालकों को दत्तक ग्रहण में दिया जाता है। प्रदेश में 38 विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी संचालित है।”
“दत्तक ग्रहण हेतु पात्रता”
एक व्यक्ति चाहे उसकी वैवाहिक स्थिाति कुछ भी हो।
माता-पिता उसी लिंग का बच्चा चाहे उसके कितने ही जीवित जैविक पुत्र या पुत्रियां हो। एक निःसंतान दंपत्ति। वैवाहिक संबंध के 2 वर्ष पूरे होने पर। लिव इन रिलेशन वाले दंपत्तियों को बच्चे के दत्तक ग्रहण की पात्रता नहीं है।
0-3 वर्ष के आयु समूह के बच्चे के दत्तक ग्रहण हेतु माता-पिता की सम्मिश्रित आयु 90 वर्ष एवं 3 वर्ष से अधिक के आयु के बच्चों हेतु माता-पिता की सम्मिश्रित आयु 105 वर्ष। एकल पुरूष बालिका को दत्तक पर नहीं ले सकेगा।

पालन पोषण देखरेख
“18 वर्ष से कम आयु के निराश्रित, बेसहारा, परित्यक्त बच्चों के समग्र कल्याण एवं पुर्नवास हेतु गैर संस्थागत पालन पोषण एवं देखरेख हेतु फ़ॉस्टर केयर योजना (Foster Care) स्वीकृत हैं। योजना के तहत् बच्चों को अस्थाई रूप से पालन पोषण हेतु पालन पोषण देखरेख में तब तक के लिए सौंपा जाता है, जब तक कि उनकी पारिवारिक परिस्थितियां सुदृढ़ न हो जाए। ”
पालन-पोषण देखरेख हेतु उपयुक्त बालक:
ऐसे परिवारों के बालक जिनके जैविक माता-पिता किन्हीं गलत कार्यों मे लिप्त हैं या जिनके माता-पिता या तो सक्षम नहीं हैं या संकट की स्थिति में हैं तथा बालक की देखरेख की स्थिति में नहीं हैं या माता-पिता जीवित नहीं हैं। ऐसे बालक जिनकी शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं में देखभाल की जा रही है, उन्हें पारिवारिक जीवन जीने का अवसर देना।
ऐसे बालक जिन्हें विभिन्न कारणों से दत्तक पर नहीं दिया जा सकता है।
पालन- पोषण देखरेख हेतु सक्षम व्यक्ति/संस्था :
एकल माता-पिता। दंपत्ति। ऐसे गैर सरकारी संगठन अथवा अन्य मान्यता प्राप्त व्यक्ति/अथवा अभिकरण जो व्यक्तिगत तौर पर अथवा समूह पोषण देखरेख के लिए बालक /बालकों की जिम्मेदारी लेने के इच्छुक हों।

प्रर्वतकता
निर्धन परिवारों को इस योजना का लाभ दिया जाता है ताकि वह अपने बच्चों का भरण-पोषण, शिक्षा एवं चिकित्सीय व्यवस्था कर सकें।
प्रवर्तकता सहायता निम्न प्रकारों मे उपलब्ध करवाई जायेगीः
निवारकःबच्चे के परिवार में बने रहकर अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए परिवारों को प्रवर्तकता (sponsorship) सहायता उपलब्ध कराई जायेगी। यह बच्चों को निराश्रित/असुरक्षित बनने, भागने, बाल विवाह के लिए विवश किए जाने बाल श्रम मे ढकेले जाने, संस्था में निवास करने हेतु विवष होने आदि से बचाने वाला एक प्रयास है।
पुनर्वास:निर्धनता के कारण संस्थाओं मे रह रहे बच्चों को प्रवर्तकता सहायता द्वारा परिवारों मे वापस मिलाया जा सकता है।
योजना का फोकस (संकेंद्रण):योजना के प्रारंभ में पहले से बालगृहों में रह रहे बालकों के पुनर्वास पर संकेंद्रण है। अतः समेकित बाल संरक्षण योजना के प्रथम चरण के क्रियान्वयन में ऐसे संस्थागत बालकों के परिवार आधारित प्रवर्तकता को प्राथमिकता दी जायेगी जिनके दोनों अथवा कम से कम एक पालक जीवित हों ताकि ऐसे बालकों/बालिकाओं को उनके जैविक परिवार से पुर्नएकीकृत किया जा सके।
बालकों के चयन का आधार: बालक 0-18 वर्ष की आयु का हो। बालक, बालगृह में लगातार 6 माह से अधिक समय से निवासरत हो।आर्थिक सहयोग कर उसके परिवार में पुनःस्थापित किया जा सकता हो। परिवार की वार्षिक आय 24,000 रूपए से अधिक न हो।ऐसे बालकों को प्राथमिकता दी जाती है जिनके पालक एकाकी माता, विधवा स्त्री, एचआईवी/कुष्ठ रोग से पीडित अथवा जेल में निरूद्ध हों।

उषा किरण योजना (घरेलु हिंसा)
उषा किरण योजना अंतर्गत (घरेलू हिंसा) से पीड़ित महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 नियम 2006 के तहत् यानि ऐसा कार्य या हरकत जो किसी पीड़ित महिला एवं बच्चों (18 वर्ष से कम के बालक एवं बालिका) के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन को खतरा/संकट की स्थिति, आर्थिक नुकसान, क्षति जो असहनीय हो तथा जिससे महिला व बच्चे दुखी व अपमानित होते हो। इसके तहत् शारीरिक हिंसा, मौखिक व भावनात्मक हिंसा, लैगिक व आर्थिक हिंसा य धमकी देना आदि महिलाओं एवं विपेक्षी परिवारो को कार्यालय मे काउंसलिंग के लिये बुलाया जाता है एवं दोनो परिवारो को समझाइस दी जाती है एवं दोनो परिवारो को घरेलू विवाद और संबंधी समझौता कराया जाता है। यदि उक्त समझाइस देने पर भी समझौता नहीं हो पाता है तो उक्त षिकायतों को डी.आई.आर. भरने एवं न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए संबंधित परियोजना कार्यालय को प्रेषित किया जाता है।

मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना
योजना के तहत विपतितग्रस्त, पीडित, कठिन परिसिथतियों मेे निवास कर रही महिलाओं के आर्थिक सामाजिक उन्नयन हेतु स्थायी प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा ताकि रोजगार प्राप्त कर सके। यह प्रशिक्षण ऐसी संस्थाओं के माध्यम से दिया जायेगा जिन संस्थाओं व्दारा जारी डीग्रीप्रमाण पत्र शासकीयअशासकीय सेवाओं मे मान्य हो। प्रशिक्षण पर होने वाला पूर्ण व्यय जिसमें प्रशिक्षण शुल्क, आवासीय व्यवस्था शुल्क, भोजन एवं छात्रवृत्ति शामिल रहेगी। ऐसी महिलाओं का चयन जिला स्तर पर गठित समिति व्दारा किया जायेगा। योजना जिला स्तर से संचालित होगी। प्रत्येक जिला आवश्यकता का आंकलन कर भौतिक एवं वित्तीय वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करेगा। जिला योजना समिति के माध्यम से बजट प्रावधानित किया जायेगा। प्रशिक्षण राशि का भुगतान सीधे सेवा प्रदाता संस्था को होगा।

शौर्य दल
मध्यप्रदेश सरकार सदैव महिलाओं व बच्चों से संबंधित मुददों पर संवेदनषील रही है। महिलाओं के प्रति हिंसा एवं अपराधों को नियंत्रित करने की दृषिट से अनेको कानून और व्यवस्थाएं निर्मित है, व महिलाएं इसका उपयोग निडरता से कर सके इस हेतु कर्इ कदम भी उठाएं गए है। परन्तु परिवार एवं समुदाय के असहयोगात्मक व्यवहार केे कारण महिलाओं के विरूद्ध हिंसा व अपराध के प्रकरण थाने में दर्ज नही किए जाते है। जिससे महिला अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है। कर्इ क्षेत्रों में सामाजिक कुरीति की व्यापकता होना भी महिला हिंसा का कारण बन जाती है। महिलाओ के प्रति असंवेदनषील होते समाज की सिथति न केवल सामाजिक विघटन को बढावा दे रही है बलिक विकास की मुख्यधारा में महिलाओं व बालिकाओं की आवष्यक व महत्वपूर्ण सहभागिता को भी प्रभावित कर रही है। महिलाओं व बालिकाओं के प्रति संवेदनषील वातावरण निर्मित करने के लिए व सही समय पर नियंत्रण से हिंसा की व्यापकता में कमी के लिए एक सामुदायिक पहल की आवष्यकता महसूस की गर्इ। विचार मंथन के बाद सामाजिक चेतना की इस अभिनव पहल नें ‘शौर्य दल नाम से अपनी पहचान स्थापित की। शौर्या दल की विषेषता जमीन से जुडा उसका हर सदस्य है जो महिला हिंसा, अत्याचार, उत्पीडन,यौन शोषण के विरूद्ध अपनी जिम्मेदारी महसूस करता है, बिना लालच बिना स्वार्थ।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
पक्षपाती लिंग चयन की प्रक्रिया को समाप्त करना, लड़कियों के जीवन को सुनिश्चित करना और लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनावर्तमान जीवन शैली में महिलाओं का शिक्षा में विकास एवं समाज के बदलते स्वरुप के कारण महिलाओं के दायित्वों में भी परिवर्तन हुआ है| महिलाएं घर की जिम्मेदारियों के साथ ही बाहर की भी अनेक जिम्मेदारियों को भी पूर्ण कर रही हैं, साथ ही वे आर्थिक उपार्जन हेतु घर से बाहर आकर भी कार्य कर रही है| बेटियों को समाज में एक स्थान देने, बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, कन्या भ्रूण हत्या को रोकने एवं बेटियों को अच्छी शिक्षा देने हेतु वर्ष 2018-19 से ही क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण, पॉक्सो कार्यशाला, जागरूकता शिविर, महिलाओं हेतु माहवारी एवं स्वशच्छ,ता संबंधी कार्यक्रम, नि:शुल्कर पिंक ड्राईविंग लाईसेंस शिविर, महिला सम्मे्लन, नारी चौपाल, मन की बातइत्यातदि कार्यक्रमों एवं गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।

वन स्टॉप सेंटर (सखी)
वन स्टॉप सेंटर (सखी) अंतर्गत सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही स्थान पर अस्थायी आश्रय, पुलिस-डेस्क, विधि सहायता, चिकित्सा एवं काउन्सलिंग की सुविधा वन स्टॉप सेन्टर में उपलब्ध करायी जायेगी।एक ही छत के नीचे हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदाय करना। पीड़ित महिला एवं बालिका को तत्काल आपातकालीन एवं गैर आपातकालीन सुविधायें उपलब्ध करना, जैसे-चिकित्सा, विधिक, मनौवैज्ञानिक परामर्श आदि। हिंसा से पीड़ित महिलायें, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु की बालिकायें भी सम्मिलित है, को सहायता प्रदाय करना। 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं की सहायता हेतु लैंगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के अंतर्गत गठित संस्थाओं को सेन्टर से जोड़ना।

सशक्त वाहिनी
सशक्त वाहिनी योजना के तहत बालिकाओं व युवतियों को पुलिस विभाग में भर्ती होने प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही महिलाओं के लिए चलाई जा रही शासन की कई कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जा रही है। वहीं महिलाओं को सुरक्षा प्रहरी बनाने के लिए पुलिस विभाग में 33 प्रतिशत स्थान आरक्षित किया गया है। इससे कि समाज में महिलाओं व युवतियों के प्रति सुरक्षा का भावनात्मक माहौल तैयार किया जा सकें।

विभाग की वेबसाइट का यूआरएल लिंक