बांदकपुर :
बांदकपुर मध्यप्रदेश में दमोह जिले में एक छोटा सा शहर है, लेकिन यह भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर- जागेश्वर नाथ मंदिर के लिए जाना जाता है। बसंत पंचमी और शिवरात्रि पर हर साल बड़े मेले का आयोजन होता है। सोमवती अमावस्या पर बहुत भीड़ होती है |
मंदिर के विशाल प्रांगण में मुख्य मंदिर के अलावा राधा-कृष्ण, देवी
दुर्गा, काल भैरव, भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी, देवी नर्मदा आदि के मंदिर स्थित है|
कनेक्टिविटी:
• सड़क मार्ग - यह अच्छी तरह से सभी दिशाओं से सड़कों से जुड़ा हुआ है। यह दमोह से 14 किमी दूर है। बसों और अन्य सार्वजनिक वाहनों की नियमित सेवा दमोह से उपलब्ध हैं।
• एयरपोर्ट - निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर बांदकपुर से लगभग 133 किलोमीटर की दूरी पर है।
• रेल -हालांकि बांदकपुर में एक रेल स्टेशन है, पैसेंजर ट्रेनों के अलावा
कुछ एक्सप्रेस ट्रेन भी रुकती है ।


बांदकपुर


बांदकपुर
कुण्डलपुर :
कुण्डलपुर भारत में जैन धर्म के लिए एक ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है। यह मध्य प्रदेश के
दमोह जिले में दमोह शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुंडलगिरी में है। कुण्डलपुर
में बैठे (पद्मासन) आसन में बड़े बाबा (आदिनाथ) की एक प्रतिमा है।
कनेक्टिविटी:
• सड़क मार्ग - यह सभी दिशाओं से सड़कों से जुड़ा हुआ है। कुण्डलपुर के आस-पास के
शहर हटा दमोह, सागर, छतरपुर, जबलपुर से नियमित बस सेवा है|
• एयरपोर्ट - कुण्डलपुर से लगभग 155 किलोमीटर की दूरी पर निकटतम हवाई अड्डा, जबलपुर
है।
• रेल - कुण्डलपुर तक पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन से 37 किलोमीटर की दूरी पर दमोह रेलवे स्टेशन है।


कुण्डलपुर
जटाशंकर
:
दमोह शहर की परिसीमा
में स्थित जटाशंकर
मंदिर एक प्रसिद्ध
दर्शनीय स्थल है। मंदिर में भगवान
शिव की मूर्ति विजराजमान हैं जो कि हिन्दु धर्म में विनाषक है। धार्मिक
महत्व के साथ-साथ जटाशंकर
अपनी प्राकृतिक सौन्दर्य के लिये भी प्रसिद्ध है।
यहाँ लोग शान्ति और प्राकृतिक वातावरण का आनंद उठाने आते
है। साथ ही अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु मंदिर में पूजा अर्चना करते है। मंदिर
और
जटाशंकर पहाड़ी का पुरातात्विक महत्तव है।


जटाशंकर
नोहलेश्वर मंदिर :
यह शिव मंदिर नोहटा गांव से 01 कि.मी. की
दूरी
पर स्थित है।
शिव को यहाँ महादेव
एवं नोहलेश्वर
के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण 950-1000 ई.वी के आस पास हुआ था। कुछ
लोग के अनुसार इस मंदिर के निर्माण का काम चालुक्य वंष के कलचुरी राजा अवनी वर्मा
की रानी ने कराया था। 10 वीं शताब्दी के कलचुरी साम्राज्य की स्थापत्य कला का एक
बेजोड़ एंव महत्तवपूर्ण नमूना है नोहलेश्वर मंदिर। यह एक
ऊचें चबूतरे पर बना है। इसमें पंचरथ, गर्भगृह, अन्तराल, मण्डप एवं मुख मण्डप आदि
भाग है।


नोहलेश्वर मंदिर
गिरीदर्शन :
यह स्थान दमोह से जबलपुर राष्ट्रीय मार्ग पर स्थित हैं जो कि जबेरा से 05 कि.मी.
एंव सिंग्रामपुर से 07 कि.मी. कि दूरी पर हरे-भरे जगंलो से
घिरी पहाड़ी पर स्थित है। यह दो मंजिला रेस्ट हाऊस कम
वाच टावर वन विभाग के द्वारा निर्मित है। यह स्थाप्तय कला
का बेजोड़ नमूना है। मेन रोड से एक सकरी गली टेंक के किनारे से होती हुई रेस्ट हाऊस
तक
पहुचती है। यहाँ ठहरने के लिए
रिजर्वेशन दमोह के डी.एफ.ओ
ऑफिस से करवाया जा सकता हैं।
यहाँ की छोटी पहाड़ी के रास्ते हरियाली और सुन्दर
दृश्य देखे जा सकते है तथा ऊपर से उगते और ढलते सूरज के
दृश्य आने वालो को बहुत लुभाते है। ये
दृश्य रेस्ट हाऊस की छत से देखे जा सकते है। रात के समय
यहाँ जंगली जानवर भी दिखाई देते है।


गिरीदर्शन
सिंगोरगढ़ का किला :
सिंग्रामुपर से करीब 06 कि.मी दूर ऐतिहासिक महत्व वाला सिंगोरगढ़ का
किला स्थित है।
यहाँ प्राचीन काल में एक सम्यता थी। राजा बाने बसोर ने एक
बड़ा और मजबूत किला बनवाया था। और राजा गावे ने लम्बे समय तक
यहाँ राज किया। 15 वीं शताब्दी के अंत में राजा दलपत शाह और
उनकी रानी दुर्गावती
यहाँ रहते थे। राजा दलपत शाह की मौत के बाद रानी ने अकबर की
सेना के सेनापति आसिफ खान से युद्ध किया था।
यहाँ एक तलाब भी है। जो कमल के फूलो से भरा है। यह एक
आदर्श पिकनिक
स्पॉट है।


सिंगोरगढ़ का किला
निदान कुण्ड :
भैंसाघाट रेस्ट हाऊस से करीब 1/2 कि.मी.
दूर भैसा
गांव से एक सड़क इस जलप्रपात के लिए जाती है। मुख्य सड़क से 01 कि.मी. से एक
जलधारा 100 फिट की ऊचांई से काली
चट्टान से नीचे गिरती है। इसे निदान कुण्ड कहते है। जुलाई
से अगस्त माह में इस जलप्रपात में पानी बहुतायत से होता है। अतः सामने से इसका
नजारा अद्भुत होता है। सितम्बर एंव अक्टूबर माह में नदी में पानी कमी होने के कारण
यह एक पिकनिक स्पाट् बन जाता है।
यहाँ चट्टानों पर सीढ़ी नुमा आकार बना है। जब जलधारा इनके
ऊपर से नीचे गिरती है तो बहुत सुन्दर
दृश्य दिखाई देता है।


निदान कुण्ड
नजारा :
भैसां गांव से 03 कि.मी. कालूमर की ओर जो डब्लू.बी.एम. सड़क
पर है, एक सड़क इस
स्पॉट की ओर जाती है जिसे नजारा कहते है। इस जगह को एक
ऊॅचे पहाड़ के ऊपर एक प्लेटफार्म की तरह बनाया गया है।
जहाँ से नीचे रानी दुर्गावती अभ्यारण का नजारा सांस रोकने
वाला होता है। घने जंगलो को
यहाँ से निहारा जा सकता है। जंगली जानवरों की गुफाऐं भी
यहाँ से देखी जाती है। जंगली जानवर भी
यहाँ वहां घूमते नजर आ जाते हैं।


नजारा
सदभावना
शिखर:
यह विध्यांचल पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊॅची जगह है।
भैंसा-कालूमर सड़क पर से एक सड़क जंगल के बीच से पहाड़ पर जाती है,जहाँ
से नीचे का नजारा अद्भुत होता है। इस चोटी की ऊॅचाई समुद्र तल से 2467 फीट
है। रात के समय जबलपुर शहर की
रोशनी यहाँ से देखी जा सकती है। इस चोटी पर चढ़ना बहुत
कठिन है अतः जीप या अन्य गाड़ी का प्रयोग सुविधाजनक होगा।


सदभावना शिखर